Menu
blogid : 13285 postid : 633564

अपील संसद मार्च

Abhivyakti
Abhivyakti
  • 154 Posts
  • 32 Comments

१६ दिसम्बर २०१३ , १०.३० बजे जन्तर-मन्तर पर एकत्रित हों                                                                                                                   साथियों,

पिछले वर्ष १६ दिसम्बर २०१२ को “ दामिनी “ के साथ हुए वीभत्स बलात्कार और उसकी दर्दनाक मौत ने सारे देश को झकझोर कर रख दिया | पैरामेडिकल की इस छात्रा के बहादुराना संघर्ष ने हजारों-हजार छात्रों,नौजवानों व् महिलाओं को सोचने और सड़कों पर उतर कर संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया देश की राजधानी दिल्ली में कड़कड़ाती हुई ठंड में पानी की बौछारो का सामना करते हुए छात्र, नौजवान और महिलाओ के साथ तमाम तबके से लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने महिलाओं पर बढ़ते अपराधों के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठाई | इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के विरोध में न सिर्फ दिल्ली में बल्कि देश के विभिन्न इलाकों में आन्दोलन फूट पड़े | इस देशव्यापी आन्दोलन ने केन्द्र सरकार को पूरे धटनाक्रम को जाँच करने और महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कुछ सुझाव पेश करने के लिए जस्टिस वर्मा कमीशन गठित करने पर मजबूर किया |ऑल इंण्डिया डेमोक्रेटिक स्टूडेन्टस ऑगेंनाइजेशन ने इस आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्होंने मात्र दामिनी के लिए ही नहीं बल्कि उन जैसी हजारो महिलाओ और बच्चों के लिए न्याय माँगा जिन पर दिन रात घिनौने अत्याचार और अपराघ हो रहे है| छोटे बच्चो का यौन शोषण हो रहा है | नव विवाहित महिलाओं को दहेज की बलि चढ़ाया जा रहा है | कहीं एक पिता द्घारा उसके पुत्री का बलात्कार किया जा रहा हैं | कहीं एक अध्यापिका का उसके छात्रों द्धारा यौन शोषण किया जा रहा है तो कहीं लड़कियों पर तेजाब फेंका जा रहा है | यही हमारा वह भारत है जहाँ महिलाओं को “ देवी “ की तरह पूजा जाता है |

आज एक ओर हमारे समाज में पितृसत्तातमक मानसिकता व्याप्त है जिसमे महिलाओं को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता है | उन्हें दहेज प्रताड़ता, बालिका भ्रूण हत्या, ऑनर किलिंग जैसे कितने ही प्रकार के शोषण का शिकार होना पड़ रहा है | दूसरी ओर मीडिया द्धारा फैलाई जा रही अशलीलता और हिंसा पुरुषों की और विशेष रूप से नौजवानों की “बेस इंस्टिंक्ट” को जागृत करती है और ऐसे दिमागी ढाँचे का निर्माण करती है जहाँ महिलाओं को अपनी इच्छा की पूर्ति करने के लिए उपभोग की वस्तु के रूप में देखा जाता है | हिंसा का प्रसार इन्सान को संवेदनहीन बना देता है और वह एक असहाय महिला पर भी पशिवक अत्याचार करने में संकोच महसूस नहीं करता है | इसके साथ-साथ शराब और ड्रग्स का व्यापक प्रवाह और राजनीति के अपराघीकरण के द्धारा भी छात्रों और नौजवानों की नैतिक रीढ को तोड़ा जा रहा है ताकि देश के छात्रों, नौजवानों और महिलाओ में उन्नत नीती-नैतिकता पर आधारित चरित्र विकसित न हो सके और वे शोषण व अत्याचार का मुकाबला करने का जज्बा हासिल न कर पाएं |    आज के ये सामाजिक हालात यह मांग कर रहे हैं कि देश के तमाम विवेकशील लोग इन समस्याओं के खिलाफ एकजुट होकर उन्नत नीती-नैतिकता और संस्क्रति पर आधारित सामाजिक सांस्कृतिक आंदोलन गठित करने के लिए आगे आएं | आंदोलन की इस कड़ी में १६ दिसम्बर २०१३ को ऑल इण्डिया महिला सांस्कृतिक संगठन,(ए,आई,एम,एस,एस,), ऑल इण्डिया डेमोक्रेटिक यूथ ऑगेनाइजेशन (ए,आई,डी,वाई,ओ,)और ऑल इण्डिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑगेनाइजेशन (ए,आई,डी,एस,ओ,) के दिल्ली राज्य कमेटियों द्वारा संसद पर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है | आप सभी से अनुरोध है कि इसमें बढ़-चढ़ क्र हिस्सा लें और इसमें पूर्ण सहयोग प्रदान करें |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply